
रिपोर्ट अनमोल कुमार
मधेपुरा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरिय विश्व विद्यालय मधेपुरा सुख शांति भवन के संचालिका राजयोगी रंजू दीदी के द्वारा लाइंस क्लब मधेपुरा परिवार और लायंस क्लब परिवार सिंघेश्वर के संपूर्ण सदस्य गणों के उपस्थिती में समाज सेवा प्रभाव मधेपुरा बिहार के द्वारा सकारात्मक सोच द्वारा स्वर्णिम समाज की स्थापना विषयक गोष्ठी और स्वागत सम्मान का कार्यक्रम आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रह्माकुमारीज संस्थान के सीमांचल एवं राजविराज नेपाल क्षेत्र के मुख्य प्रभारी राजयोगिनी भगवती दीदी,समाज सेवा प्रभाग के क्षेत्रीय संयोजक ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी ,वरिष्ठ समाज सेवी डॉक्टर भूपेंद्र मधेपुरा , चार्ट प्रेसिडेंट डॉक्टर एस एन यादव ,जनरल चेयरपर्सन श्री चंद्रशेखर जी, पूर्व प्रेजिडेंट डॉक्टर आर के पप्पू , सेक्रेटरी डॉक्टर संजय कुमार, बॉयस प्रेसिडेंट इंद्रजीत घोष , लायंस क्लब सिंघेश्वर के अध्यक्ष डॉक्टर एस के सुधाकर ,राजेश कुमार , अरविंद प्रांशुका, सेक्रेटरी संजीव कुमार, ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी ,समाजसेवी विनय वर्धन ,पतंजलि योग प्रशिक्षक डॉक्टर एन के निराला, इत्यादियों ने संगठित रूप में दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम को शुभारंभ किया। उक्त कार्यक्रम में संपूर्ण लायंस क्लब के सदस्यों को शब्द द्वारा स्वागत और माला द्वारा सम्मान स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी रंजू दीदी , सॉल् और पाग द्वारा सम्मान क्षेत्रीय संचालीका राजयोगिनी आदरणीय भगवती द्वारा किया गया।
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के सीमांचल एवं राजविराज नेपाल क्षेत्र के क्षेत्रीय संचालीका राजयोगिनी भगवती दीदी जी ने अपने उदवोधन देते हुए कहा कि मन में चलने वाले लगातार नकारात्मक विचार वर्तमान में अनेक समस्याओं का कारण बनते है। मन के नकारात्मक विचारों से ही तनाव उत्पन्न होता है। क्षणिक क्रोध या आवेश मनुष्य को कभी न सुधरने वाली भूल कर बैठता है। क्रोध से मानसिक तनाव बढ़ता है। क्रोध से मनुष्य का विवेक नष्ट होता है। क्रोध मुर्खता से शुरू होता है और कई वर्षों के बाद पश्चाताप से समाप्त होता है। क्रोध के कारण मनोबल और आत्मबल कमजोर हो जाता है। क्रोध ही अपराधों के मूल कारण बन जाते हैं, इसलिए वर्तमान में तनाव से मुक्ति के लिए सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा की आध्यत्मिक ज्ञान द्वारा ही सकारात्मक सो द्वारा स्वर्णिम समाज का निर्माण संभव है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक रहने से हर समस्या का समाधान निकलता है। बुराई में भी अच्छाई देखने का प्रयास करने से मन पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मन में चलने वाले विचारों से ही स्मृति, वृत्ति, भावना, दृष्टिकोण और व्यवहार बनता है। अगर मन के विचार नकारात्मक होंगे तो स्मृति, दृष्टि, वृत्ति, भावना, व्यवहार भी नकारात्मक बनता है। ऐसा होने से मन में तनाव पैदा होता है। मन के विचार ही वास्तव में बीज है। उन्होंने बताया कि आध्यत्मिक ज्ञान ही सकारात्मक विचारों का उगम स्थान है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष का थीम आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वस्थ एवं सुखी समाज को लिया गया है। इसके तहत लोगों को कार्यक्रमों के माध्यम से अध्यात्म का जीवन में महत्व, राजयोग मेडिटेशन, स्वस्थ एवं सुखी समाज बनाने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है इस पर जोर दिया जाएगा। आध्यात्मिकता को अपनाने से ही समाज स्वस्थ और सुखी हो सकता है। विकारों वश होने से तनाव की उत्पति होती है। विकारों से स्वयं की रक्षा करना है। सकारात्मक विचारों का स्त्रोत आध्यात्मिकता है। मंतु गुप्ता ने कहा कि यदि हमारे विचार सकारात्मक हैं तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि जीवन को रोगमुक्त, दीघार्यु, शांत व सफल बनाने के लिए हमें सबसे पहले विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर भूपेंद्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि सकारात्मक चिंतन से सहनशीलता आती जिससे कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। है। मन के विचारों का प्रभाव वातावरण पेड़-पौधों तथा दूसरों व स्वयं पर पड़ता है।
उक्त कार्यक्रमका संचालन ब्रह्मा कुमार किशोर भाई जी ने किया। मौके पर डॉक्टर गोपाल कुमार यादव ,डॉक्टर प्रणाम प्रताप सिंह, डॉक्टर यामिनी सिंह, डॉक्टर प्रवीण कुमार ,समाजसेवी प्रीति गोपाल जी, सुधाकर पांडे, रंजन कुमार, सुमन कुमार ,उर्मिला अग्रवाल, राजेश कुमार ,ओम प्रकाश श्रीवास्तव, डॉ अंजनी कुमार, डॉक्टर हिमांशु कुमार ,व्यावसायिक अरविंद प्रांशुका ,सुदेश शर्मा ,राकेश कुमार, संजीव कुमार, डॉक्टर एन .के. निराला, पूर्व प्रमुख विनय वर्धन, विजय वर्धन, अयोध्या प्रसाद ,प्रोफेसर सतीश कुमार सिंह, ब्रह्माकुमारी दुर्गा बहन, मीरा देवी, विभा देवी, किरण देवी इत्यादि सैकड़ो श्रद्धालु मौजूद।