लेखक :- प्रतिक संघवी राजकोट गुजरात कोई भी देशकी कर व्यवस्था यानी की टेक्स का ढांचा उसके देश की बहुत ही महत्व पूर्ण नींव है। अगर उसमें असमंजस और हड़बड़ी होगी तो वह देश का व्यवहार उसी तरह से होगा और इसका सीधा नुकसान देश को अंदर और बहार दोनों और से भुगतना पड़ता हे जो आज हम महसूस कर रहे हे।*कब आया जी.एस.टी क्या हे उसके स्लैब?!*भारत में जी.एस.टी 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ जो “एक राष्ट्र एक कर” के सिद्धांत पर आधारित हे। लेकिन वास्तव में यहां कर एक हो गया पर स्लैब के चक्कर में पूरा जी.एस.टी फंस गया।हमारे यहां 5% , 12% , 18% और 28% का स्लैब लगता हे और जिसमें पेट्रोल , डीजल जैसे पदार्थ शामिल नहीं हे। साथ में इनसे अलग भी आप कोई भी सुविधा या आपकी दुविधा भी लेते हो उसमें भी सर्विस टेक्स लगता है वह आगे जानेंगे।*जी.एस.टी का पैसा कहा जाता हे?!*आपको जानकर हैरानी होगी की हमारे यहां 4 प्रकार के जी.एस.टी होते हे 1 सी जी.एस.टी जो केंद्र सरकार की जेब में जाता हे2 एस जी.एस.टी जो राज्य सरकार की तिजोरी में3 आई जी.एस.टी जो अंतरराज्य लेनदेन पर लगता हे जिसमें केंद्र और राज्य दोनों का हिस्सा होता हे4 यू जी.एस.टी जो केंद्र शासित प्रदेशों की तिजोरी में जाता हे।*अब जानते हे कौन सी चीज पे कितना टेक्स लगता हे।*आजकल लोगों को यह दिखता हे कि इनकम टैक्स सिर्फ कुछ ही लोग भर रहे हे। लेकिन यह नहीं दिखाया जाता के प्रत्यक्ष , परोक्ष और छुपे टेक्स आप सब भर रहे हो। आइए जानते हे किया चीज पर कितना टैक्स लगता हे।भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी)विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर उनकी प्रकृति, उपयोगिता और चीज पर लगता हे।जी.एस.टी की मुख्य दरें 5%, 12%, 18% और 28% हैं, जैसे कीपैकेज्ड पनीर या डेरी प्रोडक्ट पैकेट में ) जी.एस.टी दर: 5% आधार मूल्य: ₹200 प्रति किलो जी.एस.टी: ₹200 × 5% = ₹10 अंतिम कीमत: ₹210मोबाइल फोन जी.एस.टी दर: 18% आधार मूल्य: ₹10,000 जी.एस.टी: ₹10,000 × 18% = ₹1,800 अंतिम कीमत: ₹11,800मिनरल वाटरजी.एस.टी दर: 18% आधार मूल्य: ₹20 प्रति लीटर जी.एस.टी: ₹20 × 18% = ₹3.6 अंतिम कीमत: ₹23.6 (लगभग ₹24)सीमेंट जी.एस.टी दर: 28% आधार मूल्य: ₹300 प्रति बैग (50 किलो) जी.एस.टी: ₹300 × 28% = ₹84 अंतिम कीमत: ₹384मोटरसाइकिल (350cc से कम) जी.एस.टी दर: 28% आधार मूल्य: ₹1,00,000 जी.एस.टी: ₹1,00,000 × 28% = ₹28,000 अंतिम कीमत: ₹1,28,000सोना जी.एस.टी दर: 3% आधार मूल्य: ₹50,000 प्रति 10 ग्राम जी.एस.टी: ₹50,000 × 3% = ₹1,500 अंतिम कीमत: ₹51,500 नोट: मेकिंग चार्ज पर अलग से 5% जी.एस.टी लग सकता है।एयर कंडीशनर जी.एस.टी दर: 28% आधार मूल्य: ₹30,000 जी.एस.टी: ₹30,000 × 28% = ₹8,400 अंतिम कीमत: ₹38,400इंश्योरेंस प्रीमियम जी.एस.टी दर: 18% आधार मूल्य: ₹10,000 (वार्षिक प्रीमियम) जी.एस.टी: ₹10,000 × 18% = ₹1,800 अंतिम कीमत: ₹11,800कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:5% जी.एस.टी: रोजमर्रा की जरूरत की चीजें जैसे दवाइयां, खाद्य तेल, चाय-कॉफी आदि।12% जी.एस.टी: प्रोसेस्ड फूड (जैसे नमकीन, जूस), छाते, सेल फोन आदि।18% जी.एस.टी: इलेक्ट्रॉनिक्स (मोबाइल, टीवी), होटल सेवाएं, बीमा आदि।28% जी.एस.टी: लग्जरी और टिकाऊ सामान जैसे सीमेंट, वाहन, एसी, सिगरेट आदि।तो आप इस प्रकार सभी चीजों में टेक्स देते हो।*पेट्रोल डीजल में अलग व्यवस्था*पेट्रोल डीजल में अलग से खेल चल रहा हे जिसमें जी.एस.टी नहीं पर VAT लगता हे और उसका ढांचा पेट्रोल: ₹94-95/लीटर, टैक्स हर 1 लीटर पर 19 रुपए 90 पैसे एक्साइज ड्यूटी है । ₹51-52 (एक्साइज + VAT + सेस)।*एक्साइज 19.90 पूरे भारत में।।।।।*डीजल: ₹90-91/लीटर, टैक्स ₹45-46।ऐसे ही आप कोई भी सर्विस लेते हो जैसे की बैंक में मेसेज सुविधा , चेकबुक , कोई भी ट्रांजेक्शन जिस पे चार्ज हो, कोई दाखला,मोबाइल रिचार्ज , बस ट्रेन या एर टिकीट , प्रोफेशनल कंसल्टंस फीस , लोन चार्ज , डीश टीवी रिचार्ज और कितनी सारी एसी सेवा हे जो रोजबरोज आप उपयोग में लेते हो वहा अनजाने टेक्स दे देते हो?!*कर पे कर और उसपे भी कर चोरों को नहीं हे डर*उससे भी आगे जाए तो अगर यह सभी चीजों पे कर देने बाद आपने इनकम टैक्स के नियमानुसार टेक्स भी दे दिया। बादमें आपकी जो भी बचत हुई उसमें से आप बीमा लो तो उसमें भी टेक्स , अगर आप मकान दुकान लेते हो तो उसपे भी स्टेंप ड्यूटी , अगर आप फिक्स डिपोजिट करवाते हो तो उसकी आय पर टीडीएस और टेक्स यानी कि डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स भरने के बाद भी आपको अपनी बची धन राशि पर से कुछ भी लो तो कर देना पड़ता हे। और अगर यह हिसाब करे तो कभी कभी एक व्यापारी के मुनाफे से ज्यादा टेक्स में पैसा जा चुका होता हे। शायद इसी कर व्यवस्था की वजह से ही लोगों में टेक्स चोरी यानी की कर चोरी की आदतें भी बढ़ती जा रही हे। और आएदिन रोज जी.एस.टी चोरी और बोगस बिल के केस सामने आ रहे हे। क्योंकि कोई बंदा मेहनत करके इतना नहीं कमा पाता हे जितना जी.एस.टी चोरी करके कमा लेता हे।*कर बढ़ा , दंड बढ़ा , बढ़ा कर्ज का व्याप ,**फिर भी बेफिकर लेने वाले , जैसे दबा लाठी में सांप।*जी हा अब आप विस्तार से सोचिए तो यह लगेगा की पिछले 10 या 15 सालों में कर , दंड और ड्यूटी हर एक चीजों में 3 से 10 गुना बढ़ावा आया हे। और टेक्स कलेक्शन भी कई गुना बढ़ गया हे । फिर भी सरकारी तिजोरी खाली रहती हे और देश पर कर्ज भी बढ़ रहा हे। अगर आपकी आय भी बढ़े और कर्ज भी तो वह दिशा गलत हे यह समझना चाहिए और देश की कर व्यवस्था पर नींव से ही बदलाव लाना चाहिए । साथ ही पेट्रोल डीजल जैसी चीजों को भी अनुच्छेद 279A (5) की तहत जी.एस.टी काउंसिल को सभी राज्यों पर दबाव डाल के एकमत होके तुरंत राहत देनी चाहिए। क्योंकि इसमें जो ईमानदार हे वही ईमानदारी और बोझ के तहत दबा रहता हे और बेइमानी और टेक्स कलेक्शन करने वाले को कोई भी फर्क नहीं पड़ता हे वर्तमान कर व्यवस्था इस दिशा में पहुंच गई हे जो देश के लिए खतरे की घंटी हे।जय हिन्द।
