June 24, 2025 5:40 am

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विश्व पत्रकारिता दिवस: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ और उसकी चुनौतियाँ

विश्व पत्रकारिता दिवस: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ और उसकी चुनौतियाँ

अनमोल कुमार

हर साल 3 मई को विश्व पत्रकारिता दिवस (World Press Freedom Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पत्रकारिता की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी, और मीडिया की भूमिका को रेखांकित करना है। यह दिन न केवल पत्रकारों के योगदान को सम्मानित करता है, बल्कि उनके सामने आने वाली चुनौतियों और खतरों पर भी प्रकाश डालता है। 2025 में, जब दुनिया डिजिटल क्रांति और सूचना युद्ध के दौर से गुजर रही है, यह दिवस और भी प्रासंगिक हो जाता है।

पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, क्योंकि यह सरकार, समाज और नागरिकों के बीच एक सेतु का काम करती है। पत्रकार न केवल सत्य को उजागर करते हैं, बल्कि समाज में जागरूकता लाने, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और शक्तियों को जवाबदेह बनाने का कार्य करते हैं। चाहे वह भ्रष्टाचार को उजागर करना हो, युद्धग्रस्त क्षेत्रों से रिपोर्टिंग करना हो, या सामाजिक मुद्दों को सामने लाना हो, पत्रकार समाज के दर्पण और प्रहरी की भूमिका निभाते हैं।

विश्व पत्रकारिता दिवस की शुरुआत 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। यह तारीख 1991 में यूनेस्को द्वारा विंडहोक घोषणापत्र (Windhoek Declaration) के उपलक्ष्य में चुनी गई, जिसमें अफ्रीकी पत्रकारों ने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाई थी। तब से यह दिन दुनिया भर में पत्रकारों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने का प्रतीक बन गया है।_

शहर साल विश्व पत्रकारिता दिवस की एक थीम होती है। 2025 की थीम (संभावित रूप से) “सूचना युग में पत्रकारिता: सत्य की खोज” हो सकती है, जो डिजिटल युग में फर्जी खबरों (fake news), प्रचार (propaganda), और सूचना के अतिप्रवाह के बीच सत्य को सामने लाने की चुनौती को दर्शाती है। आज पत्रकारों को न केवल पारंपरिक खतरों जैसे सेंसरशिप और हिंसा का सामना करना पड़ता है, बल्कि डीपफेक, सोशल मीडिया ट्रोलिंग, और साइबर हमलों जैसे नए खतरे भी झेलने पड़ते हैं।

पत्रकारिता के समक्ष चुनौतियाँ

1. प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले: दुनिया के कई हिस्सों में पत्रकारों को धमकियाँ, गिरफ्तारियाँ, और यहाँ तक कि हत्याएँ झेलनी पड़ती हैं। यूनेस्को के अनुसार, हर साल दर्जनों पत्रकार अपने कर्तव्य का पालन करते हुए मारे जाते हैं।

2. आर्थिक दबाव: मीडिया हाउसेज पर विज्ञापनदाताओं और कॉरपोरेट हितों का दबाव बढ़ रहा है, जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता कमजोर हो रही है।

3. डिजिटल युग की चुनौतियाँ: सोशल मीडिया और एल्गोरिदम आधारित कंटेंट ने पत्रकारिता को तेजी से बदल दिया है। फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं के प्रसार ने पत्रकारों पर विश्वसनीयता बनाए रखने का दबाव बढ़ा दिया है।

4. पत्रकारों की सुरक्षा: विशेष रूप से युद्ध क्षेत्रों, संघर्षग्रस्त क्षेत्रों, और авторитетарियन शासनों में पत्रकारों की जान को लगातार खतरा बना रहता है।

भारत में पत्रकारिता का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है, जब प्रेस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। आज भारत में मीडिया की स्वतंत्रता विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index) में लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। पत्रकारों को धमकियाँ, कानूनी कार्रवाइयाँ, और यहाँ तक कि हिंसा का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद, कई पत्रकार और स्वतंत्र मीडिया मंच साहस के साथ सत्य को सामने ला रहे हैं।_

विश्व पत्रकारिता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि पत्रकारिता केवल एक पेशा नहीं, बल्कि समाज के लिए एक जिम्मेदारी है। सरकारों, नागरिकों, और मीडिया संगठनों को मिलकर निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

1. पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून लागू करना।

2. स्वतंत्र पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सहायता और नीतियाँ बनाना।

3. डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना ताकि नागरिक फर्जी खबरों और सत्य के बीच अंतर समझ सकें।

4. पत्रकारों के प्रशिक्षण और नैतिकता पर जोर देना।

विश्व पत्रकारिता दिवस हमें पत्रकारों के साहस, समर्पण, और बलिदान को याद करने का अवसर देता है। यह दिन हमें यह भी प्रेरित करता है कि हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जहाँ सत्य को दबाया न जाए, और पत्रकार बिना डर के अपनी आवाज उठा सकें। आइए, इस विश्व पत्रकारिता दिवस पर हम सब मिलकर प्रेस की स्वतंत्रता को मजबूत करने और सत्य की रक्षा करने का संकल्प लें।_

“पत्रकारिता सत्य की खोज है, और सत्य ही लोकतंत्र की नींव है।”

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