June 23, 2025 6:13 am

भारतीय ग्रामीण पत्रकार संघ ट्रस्ट

भारतीय ग्रामीण
पत्रकार संघ ट्रस्ट

“मानवीय मन की सूक्ष्म अनुभूतियों का लुभावना कविताई संग्रह है एहसासों की नर्म दूब”

 

एटा। उत्तर प्रदेश के एटा जिले के वरिष्ठ पत्रकार राजू उपाध्याय की पोयट्री बुक जो इस वर्ष विश्व पुस्तक मेला 2025 में नई दिल्ली में लोकार्पित पुस्तक “एहसासों की नर्म दूब” पर आंकलन प्रस्तुत करते हुए झारखंड रांची की फ्री वर्स (मुक्त छंद) पोयट्री की फेमस कवयित्री/लेखिका सुमिता सिन्हा ने अपनी समीक्षणीय कथन में कहा है कि एटा उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ एवं संवेदनशील पत्रकार श्री राजू उपाध्याय की का बेहद शालीन नारी जीवन के भावों एवं अभिव्यक्तियों को एवं मानवीय मन की सूक्ष्म अनुभूतियों को सुंदर ढंग से शाब्दिक विन्यास से संजोया है। सुमिता सिन्हा ने किताब की प्रति अपने हाथों से प्रदर्शित करते हुए कहा है कि लोकार्पण के बाद मुझे बेहद उत्सुकता थी,इस मनोहारी किताब को लेकर मेरे मन में। जब मुझे बुक प्राप्त हुई,मैने पूरे मन से पढ़ा पत्रकारिता के साथ काव्य संसार में सशक्त समृद्ध संग्रह देने वाले राजू उपाध्याय जी की काव्य संग्रह ‘ एहसासों की नर्म दूब’ अपने नाम के अनुरूप सुकोमल अनुभूतियों को कविताओं में समेटे है। मन के विभिन्न भावों का समावेश है। संग्रह के सुधी रचनाकार राजू उपाध्याय की रचनाओं में भौतिक प्रेम के माध्यम से आध्यात्मिकता की ओर ले जाने वाली अनेक रचनाएं बरबस अध्यात्म के आनंद लोक में पाठकों को ले जाती है। सुमिता सिन्हा ने कतिपय रचनाओं के शीर्षक उद्धृत करते हुए बताया कि कृष्ण प्रिया सी तुम, मानस की चौपाई हिंदी गीतिका के रूप में उल्लेखनीय रचनाएं हैं। आप की कविताओं में मन की भावनाओं को बहुत ही सूक्ष्म तरीके से पिरोने की अद्भुत क्षमता है। “पलक झपकते तय हो जाती,एक मन से दूजे मन की दूरी।”मन की सूक्ष्म अनुभूति का शब्दांकन है। जो बेहद उत्कृष्ट है।
सुमिता सिन्हा कहती हैं कि आज के भौतिकवादी प्रेम के समय में राधा कृष्ण के प्रेम के रूप में…आपने प्रेम को आध्यात्मिकता का रूप देकर..प्रेम को एक नई और पावन दिशा दी है। नारी मन और उसके जीवन को काव्यात्मक रूप से शिष्ट शाब्दिक अभियंत्रण से संभाला और संवारा है जो मुझे बेहद लुभावना है।
उन्होंने कहा है छंद मुक्त रचनाओं में परस्पर संवादों के माध्यम से जो भाव संयोजन प्रस्तुत किया है, वह अलग कल्पलोक में ले जाता है जहां पाठक भाव विभोर होकर आनंदित होते हैं।प्रथम दृष्टया संग्रह को जिस अपनी दृष्टि बोध से देखा है वह मै प्रस्तुत कर रही हूं मैं कोई लेखक या समीक्षक या समालोचक नहीं हूं साहित्य में वैयक्तिक अभिरुचि के कारण श्री राजू उपाध्याय के एहसासों की नर्म दूब पर भाव प्रधान संग्रह के रूप में देखती हूं।
गाजियाबाद के जिज्ञासा प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह का आवरण स्वमेव किताब के अंदर की बात
स्पष्ट कर देता है संग्रह पर कतिपय आभासी पटल की प्रख्यात महिला लेखिकाओं के पुस्तक को लेकर लेख हैं। ७६ रचनाओं को समेटे किताब में १३९ पेज हैं। विभिन्न भाव बोध को रेखांकित करता कविताओं का यह किताबी संग्रह नारी के प्रति उच्चतम आदर्श भाव का पर्याय एवं मानवीय मन की अनुभूतियों का सरस काव्यात्मक अभिलेख है जो स्वागत योग्य है।

Leave a Comment

और पढ़ें

Cricket Live Score

Corona Virus

Rashifal

और पढ़ें