अनिल कुमार गुप्ता (स्टेट ब्यूरो हेड दिल्ली )
देश को जल्द ही पूर्वोत्तर क्षेत्र के सेमीकंडक्टर संयंत्र में निर्मित पहली ‘मेड इन इंडिया’ चिप मिलेगी।
पूर्वोत्तर भारत 7 बहने एक भाई=अष्टलक्ष्मी-भारत का बेहतर भविष्य बनाने में अहम सहयोगी जो भारत के विज़न 2047 को गति देगा-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया महाराष्ट्र- वैश्विक स्तरपर पूर्वोत्तर भारत-जिसे ‘सात बहनें और एक भाई’ यानी असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के रूप में जाना जाता है – आज देश के विकास पथ पर तेजी से उभर रहा है। इस क्षेत्र को भारत के भविष्य का महत्वपूर्ण स्तंभ और ‘अष्टलक्ष्मी’ कहा जा रहा है, जो भारत के विजन 2047 को गति देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
समिट का भव्य शुभारंभ
23-24 मई 2025 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री ने किया। इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में मंत्रिस्तरीय सत्र, बी2जी (बिजनेस-टू-गवर्नमेंट), बी2बी (बिजनेस-टू-बिजनेस) बैठकें और एक विशेष प्रदर्शनी क्षेत्र शामिल हैं। सम्मेलन का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र को वैश्विक और घरेलू निवेश का केंद्र बनाना है।
मुख्य निवेश क्षेत्र
सम्मेलन में पर्यटन, कृषि-खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र और हस्तशिल्प, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कौशल विकास, आईटी और आईटी-सक्षम सेवाएँ, ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, लॉजिस्टिक्स, मनोरंजन और खेल जैसे क्षेत्रों में निवेश के अवसरों पर चर्चा की गई। खास बात यह है कि भारत को जल्द ही पूर्वोत्तर के सेमीकंडक्टर संयंत्र से पहली ‘मेड इन इंडिया’ चिप मिलने वाली है।
पीएम का संदेश और अष्टलक्ष्मी की महत्ता
प्रधानमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में पूर्वोत्तर क्षेत्र को अष्टलक्ष्मी कहा – भारत की आठ समृद्धि की प्रतीक बहनों के रूप में। उन्होंने कहा:
पूर्वोत्तर क्षेत्र विविधताओं में समृद्ध है और इसमें जैविक खेती, बांस उद्योग, चाय उत्पादन, पर्यटन, बायोडायवर्सिटी और ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं।
पूर्वोत्तर भारत प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और मानवीय कौशलता से संपन्न है।
इस क्षेत्र ने हाल के वर्षों में विकास की नई ऊँचाइयों को छुआ है और इसके सभी राज्यों ने निवेश और नेतृत्व के लिए अपनी तत्परता दिखाई है।
प्रधानमंत्री ने पूर्वी भारत को “दिशा” नहीं बल्कि “दृष्टि” बताया और कहा कि पूर्वोत्तर भारत हमारे विकास पथ का महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।
प्रधानमंत्री के उद्घाटन भाषण की पाँच प्रमुख बातें:
- विकसित भारत के निर्माण के लिए पूर्वी भारत का विकास आवश्यक है।
- केंद्रीय मंत्रियों ने हाल के वर्षों में 700 से अधिक बार पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा किया, जिससे लोगों की उम्मीदों को नीतियों में बदला गया।
- पूर्वोत्तर में इंफ्रास्ट्रक्चर सिर्फ ईंट और सीमेंट नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का माध्यम भी है।
- नॉर्थ ईस्ट अब पर्यटन का एक अद्भुत केंद्र बन चुका है – पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो गई है।
- पूर्वोत्तर में शांति समझौतों और युवाओं के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है – 10,000 से अधिक युवाओं ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का रास्ता चुना है।
अष्टलक्ष्मी के आठ रूप और पूर्वोत्तर भारत
प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों की समृद्धि को अष्टलक्ष्मी से जोड़ा:
- आदि लक्ष्मी – सांस्कृतिक विविधता और परंपराएँ (उत्सव और मेले)
- धन लक्ष्मी – प्राकृतिक संसाधनों की भरमार (खनिज, चाय, बायोडायवर्सिटी)
- धान्य लक्ष्मी – कृषि और जैविक खेती (सिक्किम का पहला जैविक राज्य)
- गज लक्ष्मी – वन्यजीवन और पर्यटन (काजीरंगा, मानस जैसे पार्क)
- संतान लक्ष्मी – उत्पादकता और रचनात्मकता (हथकरघा, हस्तशिल्प, सिल्क)
- वीर लक्ष्मी – साहस और नारी शक्ति (महिला आंदोलन, रानी गाइदिन्ल्यु)
- जय लक्ष्मी – वैश्विक संपर्क और अवसर (दक्षिण और पूर्वी एशिया से जुड़ाव)
- विद्या लक्ष्मी – शिक्षा और खेल (एम्स, स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, ओलंपिक पदक विजेता)
निष्कर्ष
राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 न केवल भारत के पूर्वोत्तर को विकास का केंद्र बना रहा है, बल्कि यह क्षेत्र भारत के विजन 2047 को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। “एक्ट ईस्ट, एक्ट फास्ट, एक्ट फर्स्ट” के मंत्र के साथ, यह सम्मेलन भारत के विकास की नई कहानी लिख रहा है – जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत, आर्थिक क्षमता और मानवीय कौशल का अद्भुत संगम दिखाई देता है।