*इमारत – ए – शरीअत पर हमले और वक्फ कानून का विरोध का निर्णय*
रिपोर्ट अनमोल कुमार
पटना । फुलवारीशरीफ में आयोजित इमारत-ए-शरीअत की बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। इन प्रस्तावों में शामिल हैं:
1. *इमारत-ए-शरीअत पर हमले की निंदा*: बैठक में 29 मार्च 2025 को मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी और मौलाना मोहम्मद शिबली कासमी द्वारा इमारत-ए-शरीअत की मुख्य इमारत पर गैर-कानूनी और गैर-शरई कब्जे की कड़ी निंदा की गई। अमीर-ए-शरीअत द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन किया गया और उन्हें इस फितने को खत्म करने के लिए पूर्ण अधिकार दिए गए।
2. *वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और संशोधित वक्फ कानून 2025 का विरोध*: वक्फ संपत्तियों को मिल्लत की अमानत बताया गया और संशोधित वक्फ कानून 2025 को सरकारी कब्जे की साजिश बताया गया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और इमारत-ए-शरीअत द्वारा किए जा रहे आंदोलनों और सम्मेलनों का समर्थन किया गया और गांधी मैदान में एक विशाल वक्फ सुरक्षा सम्मेलन आयोजित करने की सिफारिश की गई।
3. *वोटर आईडी बनवाना और चुनाव में भागीदारी*: सभी नागरिकों, खासकर मुस्लिम युवाओं से अपील की गई कि वे 18 वर्ष पूरे होते ही वोटर आईडी बनवाएं और चुनावों में भाग लें। वोटर आईडी को केवल चुनाव नहीं, बल्कि अन्य सरकारी लाभों के लिए भी अनिवार्य बताया गया।
4. *इमारत-ए-शरीअत के ट्रस्ट में सुधार और नया ट्रस्ट गठन*: ट्रस्ट में आवश्यक सुधार किए जाने की जरूरत को स्वीकार किया गया और यदि सुधार सफल न हों तो हजरत अमीर-ए-शरीअत को अधिकार दिया गया कि वे एक नया ट्रस्ट गठित करें जो इमारत-ए-शरीअत के उद्देश्यों के अनुकूल हो।
5. *फिलिस्तीन के समर्थन में प्रस्ताव*: गाजा में इजराइल द्वारा किए जा रहे नरसंहार की कड़ी निंदा की गई और भारत सरकार से मांग की गई कि वह इजराइल को हर तरह का समर्थन बंद करे। मिल्लत से अपील की गई कि वे फिलिस्तीनी भाइयों के लिए दुआएं करें, जागरूकता फैलाएं और सहायता के रास्ते तलाशें।
6. *नशाखोरी और समूह ऋण के जरिए महिलाओं के शोषण की निंदा*: युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति और महिलाओं के खिलाफ गिरोहबंद लोन योजनाओं के दुरुपयोग की निंदा की गई और इमारत-ए-शरीअत के शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में इन विषयों को विशेष रूप से शामिल करने की सिफारिश की गई।
बैठक में लिए गए निर्णय मिल्लत को एकजुट, जागरूक और सक्रिय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुए, जिसमें सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिक और राजनीतिक मुद्दों पर गंभीर चिंतन और ठोस निर्णय लिए गए।