July 13, 2025 7:58 pm

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झाबुआ जिले के बेटे ने एमपीपीएससी परीक्षा में पाया असिस्टेंट प्रोफेसर का पद

झाबुआ माणक लाल जैन

 

कलेक्टर ने सहायक प्राध्यापक पद पर चयनित होने पर दी शुभकामनाएं

ग्रामीण परिवेश व सुविधाओं के अभाव को मात देकर मिसाल बने आयुष सिंगाड़

झाबुआ, 31 मई 2025 विपरीत परिस्थितियों में भी अगर दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ निरंतर प्रयास किए जाएं तो सफलता अवश्य मिलती है। इसका जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया है झाबुआ जिले की मेघनगर तहसील के ग्राम जामदा निवासी आयुष सिंगाड़ ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2022 को प्रथम प्रयास में ही उत्तीर्ण कर जिले और प्रदेश का नाम गौरवान्वित किया है।
कलेक्टर नेहा मीना ने आयुष को सहायक प्राध्यापक पद पर चयनित होने पर शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा किआयुष का सहायक प्राध्यापक के पद पर चयन ग्रामीण अंचल के युवाओं के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहित करने वाला हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भविष्य में लगन एवं मेहनत से सहायक प्राध्यापक पद पर कार्य करें और अन्य युवाओं को भी शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ाने का प्रयास करें।
आपको बता दें कि आयुष ने मात्र 24 वर्ष की आयु में हिंदी साहित्य विषय से परीक्षा उत्तीर्ण कर सहायक प्राध्यापक के पद पर चयनित होकर जिले के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनने का कार्य किया है। आयुष का कहना है कि इस सफलता की राह आसान नहीं थी, लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति और परिवार के सहयोग से उन्होंने इसे संभव बनाया। उन्होंने पहले यूजीसी नेट की व पीएसडी परीक्षा पास कर वर्तमान में विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट स्तर पर हिंदी में पीएचडी भी कर रहे है। साथ में एमपी पीएससी की तैयारी की और बिना किसी बाहरी सहायता के यह उपलब्धि हासिल की। आयुष के पिता मोहन सिंगाड़ व उनकी माता श्रीमती बाबुड़ी सिंगाड़ जो कि कृषि के साथ-साथ मजदूरी करते हैं। सिंगाड़ दम्पति ने बेटे की सफलता पर हर्ष और गर्व व्यक्त करते हुए कहा “हमें विश्वास था कि हमारा बेटा कुछ बड़ा जरूर करेगा, लेकिन उसने पूरे गांव और जिले का नाम रोशन कर दिया।” आयुष के परिवार में माता-पिता के अलावा एक बहन और एक भाई हैं।
आयुष परिवार में सबसे छोटा है उनकी शिक्षा दीक्षा स्कूल से लेकर कॉलेज तक का सफर सरकारी रहा। यह सफलता इस बात की मिसाल है कि यदि गांव के अंतिम छोर में निवास करने वाले को सही मार्गदर्शन और अवसर मिले तो वे हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। आयुष सिंगाड़ की कहानी उन सभी बेटा-बेटियों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों और ग्रामीण परिवेश में रहते हुए भी अपने सपनों को साकार करने की हिम्मत रखती हैं। आयुष की इस शानदार सफलता से परिवार समाज इष्ट मित्रो में हर्ष व्याप्त है।

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