December 6, 2025 8:58 am

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नवकार महामंत्र की विधिवत नव दिवसिय आराधना कब व किसने शुरू की?

उज्जैन (नागदा) माणक लाल जैन

* श्री मुनिराज श्री जयंतविजय जी म सा द्वारा नवकार महामंत्र आराधना के रूप में बोया बीज आज पुरे जैन समाज का बना वट वृक्ष

 

भारत के विभिन्न नगरों के जैन श्रीसंघो में चल रही नव दिवसीय नवकार महामंत्र आराधना का इतिहास
नवकार महामंत्र आराधना प्रथम बार प्रारंभ सन् 1961 में राजस्थान के निम्बाहेडा जिला चितोडगढ में चातुर्मास हेतु बिराजमान त्रिस्तुतिक जैनाचार्य श्रीमद् विजय यतीन्द्र सूरीश्वर जी महाराजा के शिष्य रत्नों मुनिराज श्री सोभाग्य विजय जी महाराज आदि ठाणा 7 की पावन निश्रा में मुनिराज श्री जयन्त विजय जी महाराज ( पुण्य सम्राट, आचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वर जी महाराजा) की परिकल्पना और प्रेरणा से हुआथा ।, मुनिराज श्री के मार्गदर्शन में नमस्कार महामन्त्र के नव पद के आधार पर आराधना की समय सीमा नव दिवसीय तय हुई थी जिसमें नव दिन नवकार महामंत्र की आराधना एवं दसवें दिन आराधना में स्थापित नवकार महामंत्र के फोटो की शोभायात्रा का रखा गया।
सन् 1961 में प्रथम आराधना भाद्रपद कृष्ण तृतीया से प्रारंभ होकर भाद्रपद कृष्ण बारस को पुर्ण हुई थी,* जिसका लाभ त्रिस्तुतिक जैन संघ निम्बाहेडा ने लिया था , प्रथम आराधना श्रीसंघ के स्थानीय लोगों तक सीमित थी जिसमें 48 भाई बहनों ने आराधना कर नव लाख नवकार का जाप किया,
उसके बाद क्रमश बागरा व अहमदाबाद में भी मुनिराज श्री के अध्यन के दौरान स्थास्नीय स्तर पर हुई।
सन् 1966 में मध्यप्रदेश के राणापुर नगर में हुय उनके चातुर्मास में हूई आराधना से स्थानीय लोगों के साथ विभिन्न नगरों से लोगों का आराधना में आगमन प्रारंभ हुआ, राणापुर नगर से मुनिराज श्री ने आराधना की तिथी में परिवर्तन करते हुए गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा की जन्म एवं स्वर्गारोहण तिथी सप्तमी की स्मृति में आराधना का श्रावण शुक्ल सप्तमी से श्रावण शुक्ल पुर्णिमा तक प्रारंभ किया जो अभी तक निर्विघ्न चल रही है, राणापुर नगर में हूई आराधना का लाभ त्रिस्तुतिक जैन संघ राणापुर की आज्ञा से राणापुर निवासी सुजानमलजी मियाचंदजी कटारिया परिवार ने लिया था,
सन् 1966 की आराधना में स्थानीय और विभिन्न नगरों से आये आराधक की संख्या 72 हुई थी ओर उस समय पंद्रह लाख नवकार महामंत्र का जाप हुआ , विश्व पूज्य गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के प्रशिष्य एवं श्रीमद् विजय यतीन्द्र सूरीश्वर जी महाराज के शिष्य रत्न मुनिराज श्री जयन्त विजय विजय जी “मधुकर”( आचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वर जी महाराज) की परिकल्पना ओर प्रेरणा से प्रारंभ हुई *आराधना का सन् 1961 में 48 आराघक की संख्या से बोया बिज उनके जीवन के सन् 2016 के अंतिम चातुर्मास मध्यप्रदेश के रतलाम में हुई आराधना में 1100 से अधिक आराधक की संख्या में वट वृक्ष बन गया ,*इनमें अधिकांस आराधक प्रतिवर्ष नियमित रूप से आतेहै।

यह आराधना वर्तमान में भी पुण्य सम्राट राष्ट्रसंत श्रीमद विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी महाराजा के पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति श्रीमद् विजय नित्यसेन सूरिश्वर जी म सा की निश्रा में प्रतिवर्ष भावयात्रा के साथ प्रवृतमान है। साथ ही पूज्य गच्छाधिपति श्री नित्यसेन सूरिजी व आचार्य श्रीमद् विजय जयरत्न सूरीश्वरजी म सा के आज्ञानुवर्ती श्रमण श्रमणी भगवन्तों की निश्रा मे नवकार मंत्र आराधना विभिन्न श्रीसंघो में शुरू हो गई जिसमे आराधको द्बारा लाखो नवकार महामंत्र के जाप व तपस्या हो रही है अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी ब्रजेश बोहरा की ओर *नवकार महामंत्र की आराधना प्रेरणा दाता गुरुदेव श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वर जी महाराजा के पावन चरणों में कोटि-कोटि वंदन करते हुए गुरुदेव से प्रार्थना करता हूँ कि आपके दिव्य आशीर्वाद से नवकार महामंत्र आराधना सभी श्रीसंघ में अखंडित रुप से शताब्दियों तक निर्विघ्न चले।

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