बीजीपीएस ने एटा में करोड़ों के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की-
मुख्य मंत्री के लोक भवन स्थित कार्यालय एवं सी एम पोर्टल पर बी जी पी एस के स्टेट जर्नल सेक्रेटरी ने मामले को रखा
एटा। जिले में अप्रैल 22 से 8 अप्रैल तक चले आरक्षी अभ्यर्थियों के चिकित्सा परीक्षण में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार की ओर उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को विस्तार से मामले की ध्यान आकृष्ट कराते हुए भारतीय ग्रामीण पत्रकार संघ (ट्रस्ट) ने पहल की है प्रदेश के स्टेट महा सचिव अमोल चंद्र श्रीवास्तव ने कहा है इस पूरे प्रकरण में एटा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी की भूमिका की प्रभावी जांच होनी चाहिए। मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रेषित पत्र में बीजीपीएस ने कहा है कि एटा जनपद में पुलिस भर्ती मेडिकल बोर्ड द्वारा अभ्यर्थियों से डरा धमका कर अनुमानित 10 करोड़ की अवैध बसूली की गई जिसमें बोर्ड अध्यक्ष को रंगे हाथों गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। परन्तु इसके पीछे एटा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी की भूमिका पर कोई सवाल जबाव नहीं किया हैं। अवगत कराया है उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुलिस आरक्षी सीधी भर्ती वर्ष 3023 एटा जनपद में लगभग 75 5 अभ्यर्थियों को मेडिकल बोर्ड से परीक्षण कराया गया। जिसमें अभ्यर्थियों से बोर्ड के सदस्यों,स्वास्थ विभाग के सक्रिय दलालों एवं उच्चाधिकारियों की शह पर खुलेआम डरा धमका कर बसूली की है। जिसकी दर प्रति अभ्यर्थी डेढ़ लाख से ढाई लाख तक बसूली गई है। मजे की बात यह रही जो अभ्यर्थी इस भ्रष्ट बोर्ड द्वारा फेल किए गए वो मंडलीय बोर्ड के परीक्षण में पास हो गए।
पत्र में कहा गया है इस मामले में कतिपय अभ्यर्थियों ने लेनदेन के वीडियो वायरल कर दिए तब प्रशासन के अधिकारी चेते उन्होंने बोर्ड के अध्यक्ष डॉ अनुभव अग्रवाल सहित एक अन्य बाहरी डाक्टर को गिरफ्तार किया। परन्तु इस विषय में पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों यह उजागर किया कि गिरफ्तार व्यक्ति बोर्ड का अध्यक्ष है। और न किसी उच्चाधिकारी ने कोई इस प्रेस कॉन्फेंस की । कहा गया है इस मामले मीडिया रिपोर्ट्स आने के बाद सवाल उठ रहे है।साक्ष्य के रूप में मुख्य मंत्री को मीडिया रिपोर्ट भेजी गई है। भर्ती की निष्पक्ष पारदर्शी प्रक्रिया को तार तार करने वाले इस बोर्ड को लेकर न प्रशासन और न पुलिस गंभीर है। मामले पर्दा सा प्रायः डाल दिया गया है।
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार मुख्य मंत्री को अवगत कराया गया है कि सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि सी एम ओ एटा और पुलिस द्वारा रंगे हाथों पकड़े गए बोर्ड अध्यक्ष के मध्य बोर्ड गठन से पहले पांच करोड़ की डील हुई जिसके बाद डॉ अनुभव अग्रवाल को इस बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। परिणाम स्वरूप मुख्य चिकित्सा अधिकारी एटा की शह पा कर पूरे बोर्ड ने निर्धारित रेट तय करते हुए खुल्लम खुल्ला बसूली करते हुए परीक्षण किए।
पत्र में कहा गया है कि इस बोर्ड गठन में नियमों की सरासर अनदेखी की गई। बोर्ड अध्यक्ष बनाए गए डा अनुभव अग्रवाल पर दिव्यागों से परीक्षण बसूली करने संबंधी जांच लंबित है। फिर ऐसे व्यक्ति इस चिकित्सा परिषद अध्यक्ष क्यों बनाया गया ? जबकि जनपद में अनेकों ए सी एक ओ एवं डिप्टी सी एम ओ है। परन्तु मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने उनको नजरंदाज करते हुए महज मेडिकल अफसर को बोर्ड अध्यक्ष क्यों बनाया यह जांच का विषय है। इस मामले में स्थानीय पुलिस की ओर से 9 अप्रैल को एफ आई आर संख्या
0219/25 के अंतर्गत भारतीय न्याय संहिता बी एन एस ए 2023 की धारा 61 (2) एवं धारा 308 सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1998 की धारा (10) एवं इसी अधिनियम की धारा ( 11) एवं धारा (13) के अंतर्गत कोतवाली नगर के उप निरीक्षक शिवा जादौन ने अभियोग पंजीकृत कराया है।
इस मामले में कहा जा रहा है जब सीधे तौर पर बोर्ड के अध्यक्ष को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया तो भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के अभियोग दर्ज क्यों नहीं किए गए जबकि पुलिस खुद दर्ज एफ आई आर में कह रही है लेनदेन के वायरल वीडियो मिले ? पुलिस का ऐसे आपराधिक कृत्य में अपराध को कमतर दिखाना प्रयास रहा है। मुख्य मंत्री जी को बताया गया है पंद्रह दिन तक चले इस कथित परीक्षण अभियान में एक दर्जन से अधिक विभागीय गैर विभागीय दलाल सक्रिय रहे जो किसी न किसी रूप में मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों के निकट देखे जाते रहे हैं।
ग्रामीण पत्रकार संघ उत्तर प्रदेश ने कहा है कि एटा में आरक्षी चिकित्सा परीक्षण में हुए भ्रष्टाचार से शासन की नीति की खुलेआम अवेहलना हुई है,जन सामान्य इस प्रकरण को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है यह बोर्ड सपा शासन की तरह क्रियाशील रहा है जबकि शासन शुरू से ही भ्रष्टाचार मुक्त नीति से काम कर रहा है।अतः इस परिप्रेक्ष्य में मुख्य मंत्री आदित्यनाथ से विस्तृत जांच की आवश्यकता बताते हुए प्रभावी गैर विभागीय जांच की मांग की है क्योंकि
सी एम ओ एटा एक विजिलेंस जांच में सत्यापित भ्रष्टाचारी हैं। इस प्रकरण मुख्य सूत्रधार है क्योंकि इतना हल्का मेडिकल बोर्ड इन्होंने अपने स्तर से गठित किया था। ताकि करोड़ों के बारे नियारे किए जा सकें।
यहां उल्लेखनीय यह है कि जुलाई माह में 62 वर्ष की सेवा पूर्ण कर रहे हैं। इनका समूचा सेवा काल भ्रष्टाचारी करतबों से भरा पड़ा है।
संघ ने मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश से अनुरोध करते हुए कहा है उक्त जांच हाई लेवल पर समयबद्ध कराई जाए ताकि इस बसूली से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े अधिकारी कर्मचारी विलम्ब की स्थित में कोई लाभ लेकर न बच सकें।एटा में हुए भर्ती परीक्षा के नाम पर हुए करोड़ों के खेल को लेकर मुख्य मंत्री क्या एक्शन लेते हैं यह निकट भविष्य में देखने वाली बात होगी ?